आचार्य पंडित श्री संतोष तिवारी

आचार्य पंडित श्री संतोष तिवारी नलखेड़ा स्थित मां बगलामुखी मंदिर के प्रख्यात विद्वान ज्योतिषाचार्य एवं वैदिक शास्त्र में निपुण है | आचार्य श्री  पंडित श्री संतोष तिवारी ने अपनी समस्त शिक्षा दीक्षा द्वारा कई जन कार्यों को सफलतापूर्वक सिद्ध किए हैं |

आचार्य श्री द्वारा सभी तरह की जनसमस्याओं जैसे व्यापार वृद्धि, धन प्राप्ति, संतान सुख, वशीकरण, टोना टोटका, दुश्मन पर विजय, तांत्रिक बाधाएं, ग्रह दोष निवारण, न्यायिक मुकदमों में सफलता आदि के निवारण के लिए विशेष मां बगलामुखी अनुष्ठान एवं पूजन करवाएं जाते हैं |

मां बगलामुखी मंदिर, नलखेड़ा

मां बगलामुखी का यह मंदिर मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले के नलखेड़ा कस्बे में लखुन्दर नदी के किनारे स्थित है। यह मन्दिर तीन मुखों वाली त्रिशक्ति बगलामुखी देवी को समर्पित है। मान्यता है कि द्वापर युग से चला आ रहा यह मंदिर अत्यंत चमत्कारिक भी है। इस मन्दिर में विभिन्न राज्यों से तथा स्थानीय लोग भी एवं शैव और शाक्त मार्गी साधु-संत तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आते रहते हैं। यहाँ बगलामुखी के अतिरिक्त माता लक्ष्मी, कृष्ण, हनुमान, भैरव तथा सरस्वती की मूर्तियां भी स्थापित हैं। कहते हैं कि इस मंदिर की स्थापना महाभारत में विजय के उद्देश्य से भगवान कृष्ण की सलाह पर युधिष्ठिर ने की थी। मान्यता यह भी है कि यहाँ की बगलामुखी प्रतिमा स्वयंभू है। प्राचीन तंत्र ग्रंथों में दस महाविद्याओं का उल्लेख है जिनमें से एक है बगलामुखी। माँ भगवती बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है। विश्व में इनके सिर्फ तीन ही महत्वपूर्ण प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें सिद्धपीठ कहा जाता है। यह मन्दिर उन्हीं से एक बताया जाता है |

माँ बगलामुखी बीज मंत्र -

ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानाम वाचं मुखम पदम् स्तम्भय । जिव्हां कीलय बुद्धिम विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा ।।

मंदिर का इतिहास

मां बगलामुखी मंदिर में भगवान अर्धनारीश्वर महाशंभू के अलौकिक रूप का दर्शन होता है, भाल पर तीसरा नेत्र मणि जड़ित मुकुट व चंद्र इस बात की पुष्टि करता है, मां बगलामुखी को महारुद्र (मृत्युंजय शिव) की मूल शक्ति के रूप में माना जाता है, भगवती मां बगलामुखी अष्टम महाविद्या है, मां बगलामुखी माता का मंदिर मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले के, नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे स्थित है, मान्यता है कि कृष्ण की प्रेरणा से पांडवों ने यहां महाभारत युद्ध में विजय प्राप्ति के लिए साधना एवं मां की आराधना की थी, यह किसी भी प्राणियों द्वारा प्रजाओं का अपहरण राजयोग कराने वाली विद्या है तथा मंत्रों के द्वारा जीवन में विजय प्राप्त कराने वाली विद्या है यह रात्रि के पर्यायवाचक है इसके सम्मुख सभी विद्याए तिरस्कृत होती है, यह तीनों शक्तियों ब्रह्मा विष्णु महेश से पूर्ण है, इसके स्तंभन के बिना वश्य और शांति होती है। वह संपूर्ण सिद्धियों की दात्री है और दूसरों की विपत्तियों का हरण करने वाली, शारीरिक रोगों को दूर करने वाली, यह विघ्न देने वालों का पलायन कराने वाली, यह त्रि शक्ति के रूप में विराजित है, जिनके दाय महालक्ष्मी और बाय मां सरस्वती केंद्र में मां बगलामुखी विराजित है, मां बगलामुखी आकर्षक श्रृंगारो से सुशोभित है, जिनका पूरा स्वर्णमय श्रृंगार है, इनका जो स्वरूप है एक हाथ में शत्रु की जिह्वा धारण कर रखी है और दूसरे हाथ में मुद्गल से शत्रु के ऊपर प्रहार कर रही है, मनुष्य के शत्रुओं में शामिल ऋण, रोग, पाप, दोष हमारे जन्म जन्मांतर में किए गए पाप यह सभी हमारे शत्रु होते हैं, मां बगलामुखी मंदिर में तंत्र साधना के लिए विशेष संयोग है, मंदिर के चारों तरफ श्मशान व पास में नदी के कारण इसका और भी महत्व बढ़ गया है, पश्चिम में ग्राम गुदरावन पूर्व में कब्रिस्तान और दक्षिण में कच्चा श्मशान है, मां बगलामुखी तंत्र की देवी है इसलिए यहां पर तांत्रिक अनुष्ठान का महत्व अधिक है। 

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पंडित जी को समस्त प्रकार के अनुष्ठानो का प्रयोगत्मक ज्ञान, सम्पूर्ण पूजन एवं विधि विधान की जानकारी अपने पिताजी एवं दादाजी से प्राप्त हुयी है| पंडित जी वैदिक संस्कृत, वैदिक मंत्रो एवं वैदिक अनुष्ठान में आचार्य की उपाधि से विभूषित है और सभी प्रकार के दोष एवं बाधाओ के निवारण के कार्यो को करते हुए १५ वर्षो से भी ज्यादा हो गया है।

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